Thursday, 28 April 2011

Live Life Kingsize!! शायद ज़िन्दगी बदल रही है!!

शायद ज़िन्दगी बदल रही है!!

जब हम छोटे थे, शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी..

मुझे याद है मेरे घर से "स्कूल" तक का वो रास्ता, क्या क्या नहीं था वहां, 

चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, सब कुछ,

अब वहां "मोबाइल शॉप", "विडियो पार्लर" हैं, फिर भी सब सूना है..

शायद अब दुनिया सिमट रही है...


जब हम छोटे थे, शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी.

हम हाथ में पतंग की डोर पकडे, घंटो उडा करते थे, लम्बी "साइकिल रेस", वो बचपन के खेल, वो हर शाम थक के चूर हो जाना,

अब शाम नहीं होती, दिन ढलता है और सीधे रात हो जाती है.

शायद वक्त सिमट रहा है..

जब हम छोटे थे, शायद दोस्ती बहुत गहरी हुआ करती थी,

दिन भर वो खेलना, वो दोस्तों के घर का खाना, वो बचन की मस्ती, वो साथ रोना, अब भी मेरे कई दोस्त हैं,

पर दोस्ती जाने कहाँ है, जब भी "ट्रेफिक सिग्नल" पे मिलते हैं "हाई" करते हैं, और अपने अपने रास्ते चल देते हैं,

होली, दिवाली, जन्मदिन, नए साल पर बस SMS आ जाते हैं

शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं..



जब हम छोटे थे, तब खेल भी अजीब हुआ करते थे,

छुपन छुपाई, लंगडी टांग, पोषम पा, कट थे केक, टिप्पी टीपी टाप.

अब इन्टरनेट, ऑफिस, फिल्म्स, से फुर्सत ही नहीं मिलती..

शायद ज़िन्दगी बदल रही है.
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जिंदगी का सबसे बड़ा सच यही है.. जो अक्सर कबरिस्तान के बाहर बोर्ड पर लिखा होता है.

"मंजिल तो यही थी, बस जिंदगी गुज़र गयी मेरी यहाँ आते आते "
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जिंदगी का लम्हा बहुत छोटा सा है.

कल की कोई बुनियाद नहीं है

और आने वाला कल सिर्फ सपने मे ही हैं.

अब बच गए इस पल मे..

तमन्नाओ से भरे इस जिंदगी मे हम सिर्फ भाग रहे हैं................

आइये इस जिंदगी को जिए न की कटे 


Let's Live Life Kingsize ! 

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